"हाँ तुम ही हो"
आज तुम्हारे इन नयनो ने
हर संशय को है दूर किया
हाँ तुम ही हो, वो एक हसी
ये आज मुझे यकींन हुआ
एक टक सा कुछ ढूँढ रहीँ थी
कुछ कहने को तैयार हुयी थी
कुछ कह गयी या न कह सकी
अजब निराली सी थी वो भाषा
तुम्हारे इन चंचल नयनो से
हौले से चुपके से
कह दूँगा एक दिन हर बात
जो है अनकही.....
लेकिन रुकना होगा तुमको तब तक
जब तक सीख नहीँ लेते
मेरे ये अनपढ नयन
तुम्हारे इन नयनो कि भाषा
1 comment:
Very Good..Very Good.
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