"मेरा अंडा"
और फिर भगवान ने मुझे इक अंडा दिया और कहा ये दुनिया का सबसे मजबूत अंडा है, हजार हाथी भी इसे नही तोड़ सकते। मैने जो भी किया अंडे ने मुझे सहारा दिया, मुझे पता था कि कुछ भी इसके पार नही जा सकता, मै अजेय होता गया...और जीतता गया....
आज जब सारी दुनिया मेरी है, ये लोग कहते है अंडा कुछ भी नही, ये इक मामूली सा आम अंडा है! मुझे पता है , ये सही में दुनिया का सबसे मजबूत अंडा है, इसिलिये तो मै राजी हो गया आज के इस शक्ति परीक्षण के लिये और दाँव पे लगा दी अपनी सारी कमायी। ये विशाल हथौड़ा सब कुछ तोड़ सकता है, हीरा भी.. लेकिन मुझे पता है ये मेरा अंडा नही तोड़ पायेगा...और तभी मुझसे कहा गया ... परीक्षण का वक्त आ गया है। क्या सही में परीक्षण का वक्त आ गया है, क्या मुझे थोड़ा भी और समय नही मिलेगा, मै डर क्यूँ रहा हूँ... ये तो दुनिया का सबसे मजबूत अंडा है जिसने जिन्दगी भर मेरा साथ दिया है, ये आज भी मुझे नीचा नही दिखायेगा... और मैने अंडा हथौड़े के नीचे रख दिया।
लेकिन इससे पहले कि परीक्षण पूरा होता मै अंडा लेकर वापिस आ गया और अपनी हार स्वीकार कर ली।
क्या मै डर गया हूँ, या मुझे अपने अंडे पे भरोसा नही? जो भी हो , हार गया हूँ पर फिर भी पता नही क्यूँ आज सब कुछ रंगीन दिख रहा है , हर जगह फूल खिल रहे है ..ऍसा लग रहा है जैसे की सारी सृष्टि किसी नवजात शिशु के जन्म की खुशी मना रही है।
दीपक
Saturday, September 15, 2007
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5 comments:
वाह वाह दीपक बाबु , भगवान ने भी काटना चाहा तुम्हारा | पर तुम तो होशियार निकले |
सुनील कुमार जैन
aarbit CP :D
ye kya hia be? kisis ne tumhare ling per prahar kiya kya?
:))
Nahin Yaar..abhee tak to aisa khatra nahin aaya hai...
dost itne dino se ek ande se hi kaam chala rahe the???
mujhe to bhagwan ne do hrist prust tandarust ande diye hai ;)
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